हरी राम यादव
सुना अपने देशवा के,
गरीब गुरबा अउर किसान।
मतदान के दिन करिहा,
जरूर भइया मतदान।
अधिकार कै प्रयोग करा,
लगावा अगुंरी पै स्याही।
एक दिन कै है मेला,
न करिहा भइया कोताही।
याद रखिहा आगे कै दिन,
और अपने बच्चन कै सम्मान।
पढ़ाई लिखाई और दवाई,
और याद रखिहा तू वर्तमान।
जात जात याद रखिहा,
भइया अपने गउंवा कै हाल ।
वकरे संग ही मा देख लिहा,
चूल्हा पै कैसे चढ़ी दाल ।
मत कै तोहरे असीमित कीमत,
मत कै दिहा तू मत दान ।
बढ़ि जाई तोहरे एक मत से,
जन के तंत्र कै बड़ा सम्मान ।।