
मुंबई: फ्रैंकलिन टेम्पलटन इंडिया म्यूचुअल फंड का मानना है कि भारतीय शेयर बाजार हाल के तेजी वाले ट्रेंड को जारी रखने के बजाय स्थिरता (कंसोलिडेशन) के दौर में प्रवेश कर सकते हैं। इसका कारण ग्लोबल अनिश्चितताएं और नए इक्विटी जारी होने की स्थायी आपूर्ति है, जो वित्त वर्ष 2026 में बाजार के प्रदर्शन पर असर डाल सकती हैं।
फ्रैंकलिन इक्विटी इंडिया के सीआईओ आर जानकीरमन ने कहा कि वैश्विक हालात अभी भी स्पष्ट नहीं हैं। ट्रेड पॉलिसी में अनिश्चितता और टैरिफ में बढ़ोतरी के कारण कैपिटल एक्सपेंडिचर (पूंजीगत खर्च ) के फैसले प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस माहौल में कई कंपनियां प्राइवेट कैपेक्स (निजी पूंजीगत खर्च ) के फैसलों को स्थगित कर रही हैं और नीतियों में अधिक फंड हाउस का कहना है कि नई इक्विटी की अधिक सप्लाई निकट भविष्य में शेयर बाजार के रिटर्न को कम कर सकती है। जहां लार्ज-कैप स्टॉक का वैल्युएशन अब आकर्षक लग रही हैं, वहीं मिड-कैप और स्मॉल-कैप सेगमेंट अभी भी अपने लॉन्ग टर्म एवरेज से ऊपर हैं। यह दिखाता है कि अलग-अलग मार्केट कैप और सेक्टर में निवेश का संतुलन बनाए रखना जरूरी है।
फ्रैंकलिन टेम्पलटन का सुझाव है कि निवेशकों को हाइब्रिड फंड्स पर विचार करना चाहिए, जो स्थिर या अनिश्चित बाजार परिस्थितियों में बेहतर रिस्क-एडजस्टेड रिटर्न प्रदान कर सकते हैं।
वैश्विक चुनौतियों के बावजूद, भारत में ग्रोथ की संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं, जिसकी वजह हैं –
रुपये की वास्तविक प्रभावी विनिमय दर अब ठीक हो गई है।
तेल की कीमतें कम हुई हैं, जिससे करंट अकाउंट डेफिसिट (चालू खाता घाटा) कम हो रहा है।
कंपनियों की मजबूत बैलेंस शीट
आरबीआई की ग्रोथ को बढ़ावा देने वाली नीतियां और पर्याप्त लिक्विडिटी
जानकीरमन ने आगे कहा कि इन पॉजिटिव आर्थिक परिस्थितियों से खासकर बैंकों और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFCs) को फायदा होगा, जिससे कर्ज का फ्लो बेहतर होता है और ओवरआल आर्थिक गति बढ़ेगी।
फ्रैंकलिन टेम्पलटन को उम्मीद है कि FY25 की चौथी तिमाही में अर्निंग (आय) कमजोर रहेगी, जिसमें मिड-सिंगल-डिजिट (5-7%) की ग्रोथ होगी। हालांकि, FY26 के लिए 13 फीसदी अर्निंग ग्रोथ का अनुमान बना हुआ है। लेकिन यह भी चेतावनी दी गई है कि बाजार संभावित अर्निंग में कटौती को लेकर संवेदनशील बना रहेगा।
फिक्स्ड इनकम (निश्चित आय) की बात करें तो, फंड हाउस को यील्ड कर्व के शॉर्ट और मध्यम अवधि वाले हिस्सों में अच्छे अवसर दिख रहे हैं। इसके कारणों में वैश्विक कमोडिटी कीमतों में गिरावट, चीन के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कमजोरी, और अमेरिका में मंदी के साथ महंगाई और जापान में ब्याज दरों में बढ़ोतरी शामिल हैं।