
कानपुर, इलाहाबाद और बनारस जैसे शहरों में आज भी युवक-युवतियों को कैरियर और ज़िंदगी से जुड़े फैसले लेने की अनन्य आजादी नहीं है। परिजनों के अपने तर्क और मूल्यों के हवाले हैं। युवाओं को वे दकियानूसी प्रतीत होते हैं। वे उनसे स्वाधीनता चाहते हैं, मगर ...आगे पढ़ें asiakhabar.com | November 10, 2017 | 3:57 pm IST