
-प्रभुनाथ शुक्ल- मन्नू भंडारी का खालीपन हिंदी साहित्य कभी भर नहीं पाएगा। मन्नू को हम जाने से रोक नहीं सकते थे, क्योंकि यही जीवन का सत्य है और नश्वरता ही जीवन का का सत्य है। लेकिन उस खालीपन को भरना भी हमारे लिए सहज नहीं ...आगे पढ़ें asiakhabar.com | November 17, 2021 | 4:58 pm IST