
संजय एम तराणेकर
चारधाम यात्रा की शुरूआत अक्षय तृतीया से होती है,
गंगोत्री और यमुनोत्रीधाम के कपाट खुलने से होती है।
गंगोत्री को माता गंगा का उदगम स्थल माना जाता है,
यमुनोत्री में यमुनामाता अवतरित हुई ये कहा जाता हैं।
गर्मियों में गंगा-यमुना अपने-अपने निवास विराजमान,
सर्दियों में मुखबा-खरसाली गांव में स्थापित देते मान।
चारधाम यात्रा की शुरूआत अक्षय तृतीया से होती है,
गंगोत्री और यमुनोत्रीधाम के कपाट खुलने से होती है।
उनकी विग्रह मूर्ति को शीतकालीन प्रवास करवाते हैं,
गंगोत्री मायके से खास चीज सहित विदा हो जाती हैं।
पौराणिक मान्यता हैं भगीरथ ने कठोर तपस्या की थी, तब जिसके फलस्वरुप गंगा धरती पे अवतरित हुई थीं।
चारधाम यात्रा की शुरूआत अक्षय तृतीया से होती है,
गंगोत्री और यमुनोत्रीधाम के कपाट खुलने से होती है।
भगीरथ ने अपने पूर्वजों के उद्धार हेतू गंगा को बुलाया, गंगा का प्रवाह ज्यादा था शिवजी ने जटाओं में समाया।
भागीरथी नदी पर एक चट्टान पे यह शिवलिंग स्थित है। सर्दियों में जलस्तर कम हो शिवलिंग दिखें व्यवस्थित हैं।