
काठमांडू। नेपाल में एक बार फिर से प्रमुख वामपंथी दलों के बीच एकता की चर्चा और बहस शुरू हुई है। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली और प्रमुख विपक्षी नेता माओवादी अध्यक्ष प्रचण्ड की पार्टी के बीच एकता कराने की मध्यस्थता के लिए चीन सक्रिय हो गया है। इसी बीच बीजिंग ने देश की पूर्व राष्ट्रपति विद्या भंडारी को बीजिंग भ्रमण का न्यौता दिया है।
नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी यूएमएल से सक्रिय राजनीति में आने के लिए तैयार पूर्व राष्ट्रपति विद्या भंडारी को 24 मई से एक सप्ताह के चीन भ्रमण पर बीजिंग का न्यौता मिला है जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया है। यूएमएल पार्टी के कुछ बड़े नेताओं के साथ बीजिंग जा रही विद्या भंडारी की वहां कई खास राजनीतिक मुलाकात होना तय है।
चीन में नेपाल के राजदूत कृष्ण प्रसाद ओली ने पूर्व राष्ट्रपति भंडारी के चीन भ्रमण की पुष्टि की है। काठमांडू आए राजदूत ओली ने बताया कि कम्युनिष्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के अंतरराष्ट्रीय विभाग की तरफ से निमंत्रण दिया गया है। उन्होंने कहा कि बीजिंग दौरे के समय चीन के विदेश मंत्री वांग यी से भी मुलाकात तय है।
चीन की पहल पर और पूर्व राष्ट्रपति विद्या भंडारी के प्रयास से पिछली बार हुई कम्युनिस्ट एकता को सुप्रीम कोर्ट ने अवैधानिक करार देते हुए खत्म कर दिया था। बाद में ओली और प्रचंड की व्यक्तिगत टकराव की वजह से वह नहीं हो पाया। चीन एक बार फिर से नेपाल के प्रमुख वामपंथी दलों खास कर ओली और प्रचंड की पार्टी के बीच एकता कराने के लिए सक्रिय हो गया है।
इसी वजह से ओली की पार्टी से सक्रिय राजनीति में कदम रखने के लिए तैयार पूर्व राष्ट्रपति विद्या भंडारी को चीन बुलाकर एक बार फिर से दोनों प्रमुख वामपंथी दलों के बीच एकता कराने के अपने प्रयास में चीन ने भंडारी को बीजिंग बुलाया है।