
नई दिल्ली। पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव को फिर बढ़ा दिया। इसके बाद भारत ने कड़ा रुख अपनाते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकी ठिकानों को तबाह कर दिया था। भारतीय वायुसेना ने इस कार्रवाई में स्वदेशी हथियारों जैसे आकाश मिसाइल सिस्टम का उपयोग किया और पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे भारत की रक्षा क्षमता और “मेड इन इंडिया” हथियारों की सफलता का उदाहरण बताया।
इस सैन्य कार्रवाई के जवाब में पाकिस्तान ने तुर्की से प्राप्त सैकड़ों ड्रोन जैसे बायरकटर टीबी2 और अस्सिगार्ड सोंगर का इस्तेमाल कर भारत पर हमला करने की कोशिश की, जिसे भारतीय वायु रक्षा प्रणाली ने नाकाम कर दिया। भारत ने इसके जवाब में ब्रह्मोस मिसाइल से पाकिस्तान के कई सैन्य ठिकानों को नष्ट कर दिया। इस पूरे घटनाक्रम में तुर्की की भूमिका सामने आने के बाद भारत में उसके प्रति गुस्सा और आक्रोश और अधिक गहरा गया।
तुर्की द्वारा पाकिस्तान को सैन्य समर्थन देने और ड्रोन आपूर्ति करने की खबरों के चलते भारत में ‘बॉयकॉट तुर्की’ अभियान शुरू हुआ, जिसने सोशल मीडिया से लेकर व्यापार और पर्यटन तक प्रभाव डाला। व्यापार की दृष्टि से भारत और तुर्की के बीच कुल व्यापार लगभग 10.43 अरब डॉलर का है। भारत तुर्की को खनिज ईंधन, कपास, इंजीनियरिंग सामान, रसायन और एल्यूमीनियम जैसे उत्पाद निर्यात करता है, जबकि तुर्की से संगमरमर, सेब, पेट्रोलियम उत्पाद, सोना, मोती और अकार्बनिक रसायन आयात करता है। अब ‘बॉयकॉट तुर्की’ के चलते उदयपुर के मार्बल कारोबारियों ने तुर्की से आयात बंद करने का फैसला लिया है, जिससे करीब 3,000 करोड़ रुपये के कारोबार पर असर पड़ेगा।
हालांकि भारत की अर्थव्यवस्था तुर्की पर निर्भर नहीं है और सरकार ने वैकल्पिक स्रोतों जैसे न्यूजीलैंड (सेब) और इटली (मार्बल) की ओर रुख करना शुरू कर दिया है। इस पूरे घटनाक्रम ने भारत की विदेश नीति, रक्षा रणनीति और आर्थिक आत्मनिर्भरता को एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया है।