
नई दिल्ली। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और यूरोपीय व्यापार एवं आर्थिक सुरक्षा आयुक्त मारोस शेफकोविक ने वैश्विक व्यापार चुनौतियों के समाधान के लिए एक दूरदर्शी और ठोस वार्ता की और 2025 के अंत तक भारत-यूरोपीय संघ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) संपन्न करने के अपने साझा संकल्प की पुष्टि की।
बातचीत में दोनों नेताओं ने कहा कि यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन द्वारा फरवरी 2025 में यूरोपीय संघ के आयुक्तों के कॉलेज की नई दिल्ली की ऐतिहासिक यात्रा के दौरान दोनों पक्षियों के संबंधों को दी गई रणनीतिक दिशा पर आधारित है।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने श्री गोयल की यूरोप की यात्रा के निष्कर्ष पर शुक्रवार को जारी एक बयान में कहा कि उच्च स्तरीय सहभागिता इस बात को रेखांकित करती है कि दोनों साझेदार एक व्यावसायिक रूप से सार्थक, पारस्परिक रूप से लाभकारी, संतुलित और निष्पक्ष व्यापार साझेदारी बनाने के लिए रणनीतिक महत्व रखते हैं जो आर्थिक सशक्त और समावेशी विकास का समर्थन करती है। श्री गोयल की यूरोपीय संघ के साथ इस बातचीत में एफटीए वार्ता के विभिन्न पहलुओं पर हुई प्रगति पर प्रकाश डाला गया और मासिक बैठकों और निरंतर आभासी सहभागिता के माध्यम से चल रही गति को बनाए रखने के महत्व पर जोर दिया गया। दोनों पक्षों ने आपसी सम्मान और व्यावहारिकता की भावना से लंबित मुद्दों को हल करने के अपने उद्देश्य को दोहराया, जिसमें 12-16 मई 2025 को नई दिल्ली में होने वाला अगला दौर भी शामिल है।
विज्ञप्ति में कहा गया है कि भारत ने इस बात पर जोर दिया है कि व्यापार वार्ता में सार्थक प्रगति के लिए प्रशुल्क कटौती चर्चाओं के साथ-साथ गैर- प्रशुल्कीय बाधाओं (एनटीबी) पर भी समान ध्यान देने की आवश्यकता है और नियामक ढांचे को समावेशी, आनुपातिक होना चाहिए तथा व्यापार को प्रतिबंधित करने से बचना चाहिए।
भारत-यूरोपीय संघ एफटीए डिजिटल संक्रमण का समर्थन करके, विविध और लचीली आपूर्ति श्रृंखलाओं को बढ़ावा देकर वैश्विक वाणिज्य की उभरती वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने की आकांक्षा रखता है।
विज्ञप्ति के अनुसार, “दोनों पक्षों ने आशा व्यक्त की कि एक बार समझौता हो जाने पर, यह व्यापक भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी के एक परिवर्तनकारी स्तंभ के रूप में काम करेगा, बाजार में प्रवेश की सुगमता को बढ़ाएगा, नियामक सहयोग का समर्थन करेगा और दोनों पक्षों में नवाचार और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा।”
दोनों पक्षों ने आर्थिक जीवन शक्ति को बनाए रखने में निवेश प्रवाह और लोगों से लोगों की गतिशीलता की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार किया।
भारत-यूरोपीय संघ एफटीए को विकसित भारत के लक्षण के संदर्भ में विविध उत्पादन नेटवर्क को बढ़ावा देने और निष्पक्ष व्यापार सिद्धांतों को बनाए रखने के साधन के रूप में देखा जा रहा है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय का कहना है कि चूंकि भारत कई मुक्त व्यापार सौदों के माध्यम से विश्व बाजार में अपनी उपस्थिति व्यापक बनाने में लगा है, यूरोपीय संघ से एफटीए वार्ता राष्ट्रीय प्राथमिकताओं और वैश्विक आकांक्षाओं के साथ संरेखित भविष्य के लिए तैयार ढांचे को आकार देने के अपने व्यापक दृष्टिकोण को दर्शाती है।