तीसरे मुख्यमंत्री को गिरफ्तार करने की पैरवी

asiakhabar.com | April 26, 2024 | 5:02 pm IST
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पिछले कुछ दिनों से राहुल गांधी देश में घूम-घूम कर बराबर मांग कर रहे हैं कि झारखंड और दिल्ली के मुख्यमंत्रियों को भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते भाजपा सरकार ने जेल भेज दिया है, लेकिन भ्रष्टाचार के इसी प्रकार के आरोपों के कारण केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा? राहुल गांधी का कहना है कि विजयन को बिना देर किए तुरंत गिरफ्तार कर लेना चाहिए। राहुल गांधी को गुस्सा और आश्चर्य है कि उसे गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा? वे इसका विश्लेषण करते हुए कहते हैं कि केरल में भारतीय जनता पार्टी पिनराई विजयन से मिली हुई है। यहां यह बताना जरूरी है कि पिनराई विजयन सीपीएम के नेता हैं और सीपीएम तथाकथित इंडिया गठबंधन में राहुल गांधी की कांग्रेस की सबसे बड़ी सहयोगी पार्टी है। राहुल गांधी के देश के कम्युनिस्टों से कैसे संबंध हैं, इस पृष्ठभूमि में यह जान लेना भी जरूरी है। इसका सामान्य उत्तर तो यही होगा कि बहुत अच्छे हैं।
यह भी कहा जाता है कि पिछले कुछ वर्षों से तो इतने अच्छे हो गए हैं कि बहुत से कम्युनिस्ट कांग्रेस पार्टी में ही चले गए हैं और उन्होंने वहां राहुल गांधी के रथ की कमान ही संभाल रखी है। उनमें से कुछ ने कांग्रेस के नीति पत्र लिखने का काम संभाल लिया है। शायद यही कारण है कि कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में स्पष्ट कर दिया है कि वह देश के सभी लोगों का सर्वे करवाएगी और पता करेगी कि लोगों के पास क्या-क्या है। फिर उसे जरूरतमंदों में रिडिस्ट्रिब्यूट करेगी। अब किन लोगों में करेगी, इसको लेकर नरेंद्र मोदी ने अपनी आशंका व्यक्त की है कि कांग्रेस यह पैसा देश में घुस आए अवैध घुसपैठियों में बांट देगी। कांग्रेस का सारा मामला कार्ल माक्र्स वाला बनता जा रहा है।
कम्युनिस्ट भी बहुत खुश थे। सभी रैलियों में वे राहुल गांधी के साथ मंच पर खड़े होकर हाथ लहरा लहरा कर अपनी खुशी का इजहार करते थे। लेकिन इस बीच एक घटना हो गई। राहुल गांधी लोकसभा के लिए हो रहे चुनाव में केरल के वायनाड से खड़े हो गए। कम्युनिस्टों ने संकेतों में उन्हें समझाया भी कि इधर मत आया करो। उधर हिंदी पट्टी से ही चुनाव लड़ा करो। लेकिन राहुल गांधी नहीं माने। वे जानते हैं कि हिंदी पट्टी बहुत तप रही है। वहां चुनाव लडऩा अब खतरे से खाली नहीं रहा। 2019 की चोट राहुल गांधी भूले नहीं हैं। इसलिए वे फिर वायनाड में दिखाई देने लगे। स्वाभाविक है कम्युनिस्टों को गुस्सा आता और यह गुस्सा आ भी रहा है। जब दो गहरे मित्र लड़ते हैं तो कई बार मामला बहुत बढ़ जाता है और अजीब अजीब रहस्योद्घाटन होने लगते हैं। राहुल गांधी और कम्युनिस्टों के मामले में भी ऐसा ही हो रहा है। राहुल गांधी ने पिनराई विजयन को भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार करने की मांग शुरू कर दी है। जाहिर है इससे लैफ्ट डैमोक्रेटिक फ्रंट को भी गुस्सा आता। केरल में सीपीएम ने कुछ दलों को साथ लेकर एलडीएफ यानी लैफ्ट डैमोक्रेटिक फ्रंट बना रखा है।
मोर्चा ने भी राहुल गांधी को लेकर कुछ मांगें करनी शुरू कर दीं। लेकिन ताज्जुब है कि मोर्चा ऐसी मांगें कर रहा है, जो अपने स्वरूप में राजनीतिक न होकर मौलिक प्रकार की हैं। मोर्चा के एक विधायक पीवी अनवर ने मांग की है कि राहुल गांधी के डीएनए की तुरंत जांच की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राहुल इस देश में चौथे दर्जे के नागरिक हैं और उन्हें अपने नाम से तुरंत गांधी नाम हटा देना चाहिए। अनवर की इस मांग के कारण दोनों पक्ष आमने-सामने आ गए हैं। राहुल गांधी कहते हैं कि पिनराई विजयन को भ्रष्टाचार के चलते गिरफ्तार करो और मोर्चा कहता है कि राहुल गांधी का डीएनए टैस्ट कराओ। मामला गम्भीर होता देख पत्रकारों के मन में आया कि इस विषय पर मुख्यमंत्री पिनराई विजयन से भी बात कर लेनी चाहिए। लेकिन विजयन तो उससे पहले ही सक्रिय हो गए थे। उन्होंने एक चुनावी सभा में राहुल पर एक बहुत ही गहरा प्रहार किया। इस प्रहार की मारक क्षमता को मध्य काल के हिंदी कवि बिहारी के एक दोहे की सहायता से समझा जा सकता है। बिहारी के दोहों के बारे में कहा जाता है, ‘देखन में छोटे लगें, घाव करें गम्भीर। ’
विजयन का जनसभा में किया गया प्रहार ऊपर से देखने से तो मामूली लगता है, लेकिन घाव बहुत गहरा कर गया है। पूरा सोनिया परिवार मरहम पट्टी करने में व्यस्त है। पिनराई विजयन ने कहा, ‘राहुल जी, अतीत में आपको एक नाम से संबोधित किया गया था। अब ऐसी बातें मत करो जिससे लगे कि आप अभी तक वहीं के वहीं खड़े हो। ’ उस समय तो जनसभा में बैठे बहुत से श्रोता भी नहीं समझ सके कि कामरेड विजयन क्या कह रहे हैं, लेकिन दो-तीन घंटों में ही केरल के चैनलों ने अर्थ समझाना शुरू कर दिया। दरअसल 2011 में केरल के ही उस समय के मुख्यमंत्री कामरेड अच्युतानंदन ने राहुल के बारे में पूछे जाने पर कहा था कि वह तो ‘अमूल बेबी’ है। उस समय से केरल में राहुल गांधी को अमूल बेबी कहा जाने लगा था। बाद में उत्तर भारत में राहुल गांधी को पप्पू कहा जाने लगा। सोनिया परिवार के लिए राहुल गांधी के इस तरह के नामों से छुटकारा पाना भी एक राजनीतिक समस्या ही बन गई।
कुछ महीने पहले जब राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा निकाली तो प्रियंका गांधी से पत्रकारों ने पूछा था कि इस यात्रा की उपलब्धियां क्या हैं, तो तब प्रियंका ने एक उपलब्धि यह भी बताई थी कि इस यात्रा से लोगों को पता चल गया है कि राहुल अब पप्पू नहीं रहा, उससे बहुत आगे निकल चुका है। लेकिन अब 2024 में विजयन निराश हैं कि राहुल बौद्धिक स्तर पर अभी भी 2011 में ही रुके हुए हैं, यानी ‘अमूल बेबी’। इस सबके बावजूद कांग्रेस और सीपीएम देश भर में सांझी चुनाव रैलियां भी कर रहे हैं। इन रैलियों में राहुल भी होते हैं और सीपीएम के दिग्गज भी। पर धुकधुकी दोनों को लगी रहती है। कामरेड डरे रहते हैं कि कहीं राहुल मुख्यमंत्री पिनराई विजयन की गिरफ्तारी की मांग न कर दें, और कांग्रेस वाले डरे रहते हैं कि कहीं कामरेड राहुल गांधी के डीएनए की जांच की मांग न कर दें। यही हालत पंजाब में है।
चंडीगढ़ में आम आदमी पार्टी के भगवंत मान कहते हैं कि कांग्रेस से अच्छी कोई पार्टी नहीं है। इसके प्रत्याशी को जिताओ। लेकिन दस कदम चलने पर पंजाब आ जाता है। वहां कार से उतर कर वही भगवंत मान चिल्लाते हैं, कांग्रेस से बचो। यह सबसे बड़ी भ्रष्टाचार है। स्थिति दिन-प्रतिदिन हास्यास्पद होती जा रही है। लेकिन दोनों बराबर डटे हुए हैं कि भाजपा को हराना है। दरअसल आज भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा संकट विश्वसनीयता को लेकर है। राजनीतिक दल येन केन प्रकारेण सत्ता हथियाना चाहते हैं। विचारधारा की उनकी दृष्टि में कोई अहमियत नहीं रह गई है। अभी तक सीपीएम के बारे में यह माना जाता था कि वह विचारधारा पर आधारित पार्टी है। लेकिन वह अपने विदेशी स्वभाव के कारण सौ साल बीत जाने पर भी हिंदुस्तान में अपने पैर नहीं जमा सकी। समाप्ति के इस अंतिम चरण में उसने भी किसी न किसी तरह ‘सांस चलती रहे’ के सूत्र को आधार मान कर कांग्रेस के साथ गठबंधन करके अपनी स्थिति हास्यास्पद बना ली है। ऊपर के सभी प्रकरण इसी पृष्ठभूमि में समझे जा सकते हैं। भारतीय जनता पार्टी पर भी यह आरोप लग रहा है कि उसने भी दूसरे दलों के अनेक लोगों को शामिल कर लिया है। लेकिन भाजपा उन लोगों का उपयोग भी अपनी वैचारिक यात्रा को गति प्रदान करने के लिए ही कर रही है। यही कारण है कि आज सब राजनीतिक दल चिल्ला रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी अपने एजेंडे के हर काम को क्रियान्वित कर रही है।


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