यूरोप की सबसे बड़ी खारे पानी की झील के लिए लड़ने वाली टेरेसा के लिए ‘मार मेनोर’ खास है

asiakhabar.com | April 30, 2024 | 4:18 pm IST
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लॉस एंजिलिस। टेरेसा विसेंट ने अपने बचपन में कई दिन स्पेन की मार मेनोर लगून झील के साफ पानी में तैराकी, हाथों में सीहॉर्स मछली पकड़ कर तस्वीर खिंचवाते हुए और चांद की रोशनी में पार्टी करते हुए बिताये। जब वह उस झील के किस्सों को याद करती हैं तो उन्हें लगता है कि वक्त जैसे रुक सा गया है।
लेकिन दशकों तक खनन, विकास और कृषि अपवाह (एग्रीकल्चरल रन ऑफ) से होने वाले प्रदूषण ने यूरोप की सबसे बड़ी खारे पानी की झील को बेहद प्रदूषित कर दिया है। यह किसी जमाने में पूरी तरफ साफ हुआ करती थी। वर्ष 2019 में बड़े पैमाने पर मछलियों की मौत ने मर्सिया विश्वविद्यालय में कानून दर्शनशास्त्र की प्रोफेसर को इसके खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रेरित किया।
अपने पुराने दिनों को याद करते हुए विसेंट कहती हैं कि उस समय वह स्पेन के मार मेनोर में बिल्कुल स्वच्छ पानी में तैरती थीं और समुद्री जीव उसमें साफ नजर आते थे लेकिन खनन और विकास कार्यों की वजह से होने वाले दीर्घकालिक प्रदूषण ने यूरोप के सबसे बड़े, खारे पानी के लगून को लगभग बर्बाद कर दिया।
समुद्री तटों पर ज्वार की वजह से जब पानी की लहरें उठती हैं तो पानी तट पार कर आगे सूखे हिस्से में आ जाता है। लेकिन बाद में यह पानी भाटा के समय वापिस समुद्र में नहीं जाता। इस पानी के अवशोषण के कारण जमीन का यह भाग सतह से थोड़ा नीचे चला जाता है और झील बन जाती है जिसे लगून कहते हैं।
विसेंट (61) ने उसके बाद अगले कुछ वर्षों में क्षेत्र के इस पारिस्थितिकी तंत्र को खत्म होने से बचाने के लिए जमीनी स्तर पर एक अभियान शुरू किया और उनके प्रयासों से 2022 में एक नया कानून पारित हुआ, जिससे झील के संरक्षण, सुरक्षा और क्षति निवारण का कानूनी प्रावधान तय हो गया। उनके प्रयासों से मार मेनोर लगून झील का कायाकल्प हो गया।
विसेंट, इस वर्ष ‘गोल्डमैन पर्यावरण’ पुरस्कार प्राप्त करने वाले सात विजेताओं में से एक हैं। ‘गोल्डमैन पर्यावरण’ पुरस्कार को ‘ग्रीन नोबेल’ के नाम से जाना जाता है। इस पुरस्कार के माध्यम से प्राकृतिक दुनिया की रक्षा में उपलब्धियों के लिए विश्व भर के जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं को सम्मानित किया जाता है।
इस पुरस्कार को प्राप्त करने वाले पर्यावरणविदों को लगभग 100 नामांकित व्यक्तियों में से चुना गया था और विजेताओं की घोषणा सोमवार को की गई। विसेंट ने कहा, ”यह पुरस्कार उस अंतरराष्ट्रीय मान्यता का प्रतीक है कि हम मानवता में एक नए चरण को देख रहे हैं। यह एक ऐसा चरण है जहां मनुष्य समझते हैं कि वे प्रकृति का हिस्सा हैं। और इस पुरस्कार का मतलब है कि यह स्थानीय या राष्ट्रीय स्तर पर नहीं बल्कि यूरोपीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विजय है।”
उन्होंने कहा, ”उन्होंने मार मेनोर को जादुई झील करार दिया और इस सफर में हम सभी ने बहुत सारा जादू देखा। यह झील बहुत खास है।” इस वर्ष ‘गोल्डमैन पर्यावरण’ पुरस्कार से सम्मानित होने वालों में भारत के आलोक शुक्ला भी शामिल हैं। शुक्ला ने भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में प्रस्तावित 21 कोयला खदानों से करीब 2,00,000 हेक्टेयर वन क्षेत्र को बचाने के लिए एक सामुदायिक आंदोलन का नेतृत्व किया।


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