लोकसभा चुनाव लड़ने की शैक्षिक योग्यता और अधिकतम उम्र सीमा का निर्धारण आवश्यक ?

asiakhabar.com | April 30, 2024 | 2:40 pm IST

डॉ. अजय कुमार मिश्रा
राजनीति एक समाज सेवा का विषय परम्परागत तरीके से स्वीकार्य है, जबकि जमीनी सच्चाई यह है की अधिकांश लोग इस क्षेत्र में समाज सेवा को कम महत्व निजी स्वार्थ और व्यक्तिगत सेवा को अधिक महत्व देते है | यही वजह है की वास्तविक और सच्चे नेता जो आम लोगों के दिलों पर राज करें वह चुनिन्दा रहे है | उनके रहने और न रहने पर भी सभी के दिल में बिना सशर्त प्यार और समर्थन रहता है | यदि गहराई से विचार और विमर्श किया जाय तो यह एक ऐसा विषय है जिसमे लोगों का चुनाव आवश्यकता और योग्यता पर शायद ही हो रहा हो | यहाँ वह व्यक्ति चुनाव जीतता है जो सर्वरूप में प्रभावशाली हो | आम आदमी आजादी के दशको बाद भी अभी तक इन चुनावों की आवश्यकता और महत्व को नहीं समझ पाया है इसीलिए अधिकांश मामलों में योग्य व्यक्ति का चुनाव नहीं ही होता है | हद तो तब हो जाती है जबकि ऐसे लोग एक दो नहीं बल्कि लगातार चुनाव जीत कर पूरे सिस्टम की आवश्यकता को दिन प्रतिदिन दर किनार करते रहतें है | लोकतंत्र देश के लिए जहाँ अति महत्वपूर्ण है वही चुना जाने वाला व्यक्ति कई ऐसी संभावनाओं पर चुना जा रहा जो लोकतंत्र के लिए अप्रत्यक्ष रूप से नुकसानदायक है | क्या किसी को सिर्फ इसलिए बार-बार चुना जाना चाहिए जो पुरे सिस्टम पर नियंत्रण करके चुनाव जीतने के उद्देश्य से ही दिन रात लगा हो ?
देश में लोकसभा चुनाव लड़ने की न्यूनतम उम्र 25 वर्ष है जबकि शैक्षिक योग्यता की कोई अनिवार्यता नहीं है और यह देश का सबसे बड़ा चुनाव है जिसका असर आम आदमी के साथ महत्वपूर्ण नियमो पर भी पड़ता है | राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय हित इसी से सुरक्षित होते है | उद्देश्यपूरक कार्य करने की वजह अब राजनैतिक दल सत्ता में आने और बने रहने से सम्बंधित कार्य ही कर रहें है और एक दो नहीं बल्कि अनेकों ऐसी आवश्यकता है जिन पर प्रतिबद्ध होकर कार्य किया जाना चाहिए और नहीं कर रहें है जिसका खामियाजा आम आदमी उठा रहा है | ऐसे में यह अति महत्वपूर्ण हो जाता है की क्यों न लोक सभा चुनाव लड़ने की अधिकतम सीमा और एक व्यक्ति अधिकतम कितनी बार चुनाव लड़ सकता है का निर्धारण शैक्षिक योग्यता की अनिवार्यता के साथ किया जाए | इससे न केवल सिस्टम में पारदर्शिता आयेगी बल्कि प्रत्येक चुना हुआ व्यक्ति बाध्य होगा आवश्यक कार्य करने को | लगातार सत्ता में बने रहने का जोड़-तोड़ करने और अपना एकाधिकार समझने वाले व्यक्ति की अपेक्षा सभी को सामान अवसर भी प्राप्त होगा |
यह उचित और न्याय संगत भी होगा की लोक सभा चुनाव लड़ने की अधिकतम उम्र सीमा 60 वर्ष होनी चाहिए और एक व्यक्ति को अधिकतम पांच बार चुनाव जीतने तक लड़ने देना चाहिए | साथ ही यह भी जरुरी है की न्यूनतम शैक्षिक योग्यता ग्रेजुएशन अवश्य होनी चाहिए | यह मानक इसलिए भी जरुरी है की आम आदमी की बेहतरी के लिए एक बड़ा कार्य हो सकें | आजादी के बाद से लेकर अब तक यदि मूल्यांकन किया जाए तो अभी भी कुल आबादी का महत्वपूर्ण हिस्सा अभी भी जमीनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए लड़ रहा है | बाजारवाद और आर्थिक युग ने सबके जेब पर डांका डाल रखा है | विकसित और विकाशसील दोनों की यात्रा में नागरिक ही महत्वपूर्ण है यदि उन्हें विशेष स्थान नहीं दिया जायेगा तो बड़ी बिल्डिंग, चौड़े रोड, चमकदार लाइट का कोई मतलब नहीं है |
वर्तमान राजनैतिक परिवेश और चल रहें चुनावी महायुद्ध को देखें तो चारों तरफ अत्यधिक विषमतायें देखने को मिल रही है | जनता पुराना चेहरा देखकर जहाँ उब गयी है वही आधी से अधिक जीवन की यात्रा तय कर चुके लोग अपने को युवा बोल रहें है | कुछ लोगों ने इस क्षेत्र को इतना अधिक नियंत्रित कर दिया है की आम आदमी और वास्तविक समाजसेवा की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए कुछ बचा नहीं है | जनता को इस तरह से भ्रमित किया जा रहा है की ब्रांडेड पार्टियों के अलावा अन्य कोई विकल्प दिखाई भी नहीं दे रहा है | ऐसे में देशहित और राष्ट्रनिर्माण के लिए यह वर्तमान महत्वपूर्ण जरूरत है की लोकसभा चुनाव लड़ने वाले सभी के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता और अधिकतम उम्र सीमा का निर्धारण किया जाय | जिससे सही मायने में आम आदमी को भी समान अवसर मिल सकें और वास्तविक जरूरतों की पूर्ति हो सकें | अन्यथा की स्थिति में हम जिस राह पर तेजी से बढ़ रहें है आगामी कुछ वर्षो में चुनाव महज दिखाने के लिए होगे और इसके नियंत्रक दशकों तक सत्ता का सुख भोगेगे और जनता…..?


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