पूर्वी भारत में स्ट्रेंग्थेनिंग एनर्जी वाटर एंड एग्रीकल्चर नेटवर्क ‘सेवा’ की शुरुआत

asiakhabar.com | August 20, 2021 | 5:06 pm IST
संवाददाता
 रांची : स्विचऑन फाउंडेशन ने झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में स्थायी जलवायु प्रौद्योगिकी और अभ्यास को बढ़ावा देने के लिए एक सेवा नेटवर्क लॉन्च किया है। सौर सिंचाई के प्रभाव पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है जिसमें सौर पंपों के उपयोग के विभिन्न आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय लाभों पर प्रकाश डाला गया है।
रांची 20 अगस्त 2021: राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा दिवस के अवसर पर, स्विचऑन फाउंडेशन ने स्ट्रेंग्थेनिंग एनर्जी वाटर एंड एग्रीकल्चर (सेवा) नेटवर्क शुरू करने के लिए एक वेबिनार का आयोजन किया था| ये झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में सौर पंप, माइक्रो इरिगेशन, भूजल रिचार्ज और अन्य सिंचाई सुविधाओं को बढ़ावा देने वाले इकोसिस्टम बनाने के लिए इस खेत्र में काम कर रहे जमीनी स्तर के संगठनों का एक नेटवर्क हैं। वेबिनार में कई वरिष्ठ सरकारी अधिकारी, फंडर, जमीनी स्तर के संगठन, असरकारी संगठन और किसान उत्पादन संगठन मौजूद थे।
भारत की 70 प्रतिशत आबादी कृषि पर निर्भर है, जो वर्तमान में जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों और प्राकृतिक संसाधनों की कमी के कारण कृषि आय में गिरावट का सामना कर रही है। इस वेबिनार में मुख्य वक्ता थे श्री एस सुरेश कुमार, आईएएस, अतिरिक्त मुख्य सचिव, विद्युत विभाग, पश्चिम बंगाल सरकार। उन्होंने कृषि में सौर पंपों को बढ़ावा देने, जीवाश्म ईंधन और ग्रिड बिजली पर निर्भरता कम करने पर जोर दिया।
‘सेवा’ नेटवर्क के माध्यम से, सभी सदस्य संयुक्त रूप से परियोजना के लिए राशि जुटाएंगे, किसानों और अन्य भागीदारों को टिकाऊ तकनीको और विधियों पर प्रशिक्षित करेंगे, सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रचार सामग्री वितरित करेंगे, और विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में सफल व्यवसाय मॉडल का विस्तार करेंगे।
कार्यक्रम में “लघु और सीमांत किसानों पर सौर पंपों के प्रभाव” पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई। रिपोर्ट में पारंपरिक पंपों को सौर पंपों से बदलने के बाद किसानों की आय में 45-65 प्रतिशत की वृद्धि दिखाई गई है। रिपोर्ट में कहा गया है, “5एच पि डीजल या इलेक्ट्रिक पंप को 1 साल के लिए सौर पंप से बदलने पर एक साल के लिए सड़क से 1 कार को हटाने के बराबर है।” प्रकाशन में सौर पंपों के कई अन्य आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों की सूचना दी गई थी।
इस कार्यक्रम में, शक्ति फाउंडेशन के निदेशक श्री मनु मौदगल ने जलवायु परिवर्तन के मुद्दों के समाधान के लिए  अक्षय ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देने के महत्व पर प्रकाश डाला। झारखंड अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी से श्री बिजय कृष्ण सिन्हा और उड़ीसा अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी के श्री किशन कोनेर ने अपने-अपने राज्यों में सौर पंपों को बढ़ावा देने के लिए अपनी पहल के बारे में बात की।
गुड एनर्जी फाउंडेशन की प्रोग्राम मैनेजर स्टेफ़नी जोन्स ने कहा कि सौर पंपों को बढ़ावा देने के दौरान, जल संकट उत्पन्न होने से पहले भूजल की निगरानी और फिर से भरने की आवश्यकता है। कुछ जल संरक्षण तकनीको और प्रथाओं पर आईआईटी बॉम्बे के डॉ. पेन्नान चिन्नासामी द्वारा चर्चा की गई।
पारंपरिक से नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन के बारे में बात करते हुए, मैकआर्थर फाउंडेशन की निदेशक मौटुशी सेनगुप्ता ने इसे प्राप्त करने के लिए एक सुव्यवस्थित मॉडल के महत्व को उजागर किया। नाबार्ड के डी जी एम श्री सम्राट मुखर्जी ने इस क्षेत्र में स्थायी कृषि तकनीको और प्रथाओं को बढ़ाने और दोहराने के लिए एजेंसी द्वारा की गई विभिन्न पहलों का उल्लेख किया। झारखंड के जैविक कृषि प्राधिकरण के सीईओ श्री जय प्रकाश तिवारी ने कहा, “जैविक खेती के अभ्यास से जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग और प्रीमियम कीमतों के कारण छोटे और सीमांत किसानों की आय में वृद्धि होती है।”
जमीनी स्तर के संगठन और एफपीओ नेटवर्क में शामिल होने और विकसित करने के लिए उत्साहित थे। श्री विनय जाजू, प्रबंध निदेशक, स्विचऑन फाउंडेशन ने कहा, “नेटवर्क छोटे और सीमांत किसानों के साथ काम करने वाले जमीनी संगठनों को एक साथ लाकर ग्रामीण विकास के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है ताकि आय बढ़ाने और एक स्थायी पारिस्थितिक तंत्र का निर्माण किया जा सके।”

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